क्या आपका पीसी बार-बार क्रेश हो जाता है? क्या आप अपने फेवरेट स्मार्टफोन के हैंग होने से परेशान हैं, तो अब से आप मैन्यूफैक्चरर कंपनी पर दोष देना बंद कर दीजिए। क्योंकि ऐसा हो सकता है कि आप एलियन अटैक के शिकार हो रहे हों।
ऐसा हम अपने मन से नहीं कह रहे। बल्कि इसके पीछे एक सच्चाई छिपी हुई है और वो है एलियंस अटैक की। ऐसा पता लगाया है रिसचर्स ने।
रिसचर्स के मुताबिक अगर आपका पीसी बार-बार क्रेश हो रहा हो, या फिर आपका स्मार्टफोन अक्सर हैंग हो जाता है, या आपकी कोई भी पर्सनल इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस में बार-बार एक ही समस्या पैदा हो रही है। तो इसके पीछे एलियंस हो सकते हैं।
भारतीय मूल के रिसर्चर और वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी रेडिएशन इफेक्ट्स रिसर्च ग्रुप के मेंबर भारत भुवा के मुताबिक बाहरी अंतरिक्ष से आने वाले एलियन सबएटोमिक पार्टिकल्स आपके स्मार्टफोन, कंप्यूटर्स या दूसरी पर्सनल डिवाइसेज की खराबी के लिए जिम्मेदार हैं।
भारत भुवा के मुताबिक इन सभी डिवाइसेज के ऑपरेशनल फेल्योर अधिकांश मामलों में मुख्य वजह कॉस्मिक रे से पैदा होने वाले इलैक्ट्रिकली चार्ज्ड पार्टिकल्स हैं, हमारे सोलर सिस्टम के बाहर से आते हैं। जब ये क़स्मिक रे प्रकाश की रफ्तार से हमारी धरती के वातावरण में प्रवेश करती हैं, तो ये सेकेंडरी पार्टिकल्स का एक झुंड बनाते हैं, जिनमें एनर्जेटिक न्यूट्रांस, म्योंस, पायोंस और अल्फा पार्टिकल्स भी शामिल होते हैं।
लाखों की संख्या में ये पार्टिकल्स हर सेकेंड में हमारी बॉडी पर हमला करते हैं। हालांकि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि लाखों की तादाद में हमला करने वाले ये हमलावर हमारी बॉडी को कितना नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन ये पार्टिकल्स इतनी एनर्जी साथ लिए होते हैं कि माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक सर्किटरी के ऑपरेशन में दखलंदाजी करना शुरू कर देते हैं, साथ ही जब ये इंटिग्रेटेड सर्किट के संपर्क में आते हैं तो मेमोरी में स्टोर डाटा के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर देते हैं, इस प्रोसेस को सिंगल इवेंट अपसेट या एसईयू कहते हैं।
बेल्जियम के शियाबीक में 2003 के इलैक्शंस के दौरान एसईयू के वजह से इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग में एरर आ गया था। जिसके चलते इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ने 4096 एक्स्ट्रा वोट एक कैंडिडेट को दे दिए थे। यह मामला इसलिए पकड़ में आ गया क्योंकि मशीन ने वोटरों से भी ज्यादा वोट कैंडिडेट को दे दिए थे।
भारत भुवा के मुताबिक यह एक बड़ी समस्या है, क्योंकि ये पार्टिकल्स आंखों को दिखाई नहीं देते। 1987 में बने वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी रेडिएशन इफेक्ट्स रिसर्च ग्रुप का शुरूआती फोकस मिलिट्री और स्पेस एप्लीकेशंस था, लेकिन 2001 से कंज्यूमर प्रोडक्ट्स पर रेडिएशन के प्रभावों पर यह ग्रुप स्टडी करने लगा।
भारत भुवा के मुताबिक एसईयू आमतौर पर होने वाली घटना है, लेकिन जैसे-जैसे नए इलैक्ट्रानिक सिस्टम्स में ट्रांजिस्टर्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है, डिवाइस लेवल पर एसईयू फैल्योर की संभावना ज्यादा रहती है।
उनके मुताबिक, सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चर्स को कॉस्मिक रे की दखलंदाजी रोकने के लिए काम करना चाहिए। 2008 में फुजित्सु के इंजीनियर्स ने कॉस्मिक रे के कंप्यूटर्स पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को समझने के लिए हवाई के एक ज्वालामुखी पर चढ़ाई की थी।
एसईयू को रोकने का एक रास्ता यह भी है कि प्रोसेसर्स को तीन के जोड़े में डिजाइन किया जाए और नासा पहले से ही अपने स्पेसक्राफ्ट कंप्यूटर सिस्टम में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।