जरा सोचिए कि आप शॉपिंग करने के लिए निकलें और शॉपकीपर आपके सामने ढेरों ऑप्शन दिखा दे, तो आप क्या करेंगे? जाहिर है कि आप बेस्ट ही चुनेंगे।
लेकिन डेटिंग वेबसाइट और डेटिंग एप्स के मामले में ऐसा कतई नहीं हैं। जब बात डेटिंग पार्टनर चुनने की आती है, तो लोग अपने स्टैंडर्ड से भी नीचे गिर जाते हैं।
दुनिया की टॉप डेटिंग साइट्स में शुमार Match और eHarmony जैसी वेबसाइट्स पर लोग अपना पार्टनर चुनने से पहले काफी सलेक्टिव होते हैं और फॉर्म डिटेल्स में वही चूजी डिटेल्स लिखते हैं, जो उन्हें अपनी ड्रीम पार्टनर में चाहिए होती हैं।
नई रिसर्च के मुताबिक डेटिंग एप्स और साइट्स जब लोगों की प्रिफरेंस के मुताबिक रिजल्ट दिखाती हैं, तो लोग अपने बनाए पैरामीटर्स से भी नीचे गिर जाते हैं।
क्वींसलैंड यूनिवसिर्टी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड आरएसवीपी की नई स्टडी के मुताबिक एप्स यूजर्स की प्रिफरेंस के मुताबिक रिजल्ट पर सर्च के दौरान जब बात डेटिंग के लिए पार्टनर चुनने की आती है, तो उसमें अपनी अक्चुअल च्वाइस का भी ख्याल नहीं रखते।
साफ शब्दों में कहें, तो बात जब डेटिंग पार्टनर की आती है, तो ड्रीम क्वॉलिटी वाली चेकलिस्ट गायब हो जाती है।
प्रीफरेंस वर्सेस च्वाइस इन ऑनलाइन डेटिंग स्टडी में 4 महीने तक 41 हजार आस्ट्रेलियंस के डेटिंग बिहेवियर को जांचा गया। जिसमें पाया गया कि ड्रीम डेटिंग पार्टनर और रिअल पार्टनर चुनने के दौरान प्रीफरेंसेस में जमीन-आसमान का अंतर था। स्टडी में पाया गया कि डेटिंग वेबसाइट पर लोगों ने जो शुरूआती चैट मैसेजेज भेजे, उनमें वे लोग शामिल थे, जो उनकी डेटिंग प्रिफरेंस से मेल नहीं नहीं खाते थे। यहां तक हेयर कलर, बॉडी टाइप, एजुकेशन, पर्सनैलिटी और पॉलिटिकल व्यूज जैसी जरूरी प्रिफरेंस को भी नजरंदाज कर दिया। वहीं, मुश्किल से 1 परसेंट मैसेजेज ऐसे थे, तो उनकी प्रिफरेंट लिस्ट से मैच करते थे।
रिसर्चर्स का कहना है कि ऑनलाइन ऑप्शंस ज्यादा होने से, लोग अपना समय और एनर्जी सही मैच चुनने में बर्बाद नहीं करना चाहते। लेकिन रिसर्चर्स के मुताबिक एक अच्छी खबर यह भी है कि इस तरह के व्यवहार से लोग खुल कर सामने आ रहे हैं। वहीं इसका मतलब यह भी है कि डेटिंग की दुनिया में लोग क्या चाहते हैं, यह वे खुद नहीं जानते।