Indian Navy: भारतीय नौसेना के लिए गुरुवार का दिन बेहद अहम रहा। भारतीय नौसेना को न केवल भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, विक्रांत मिला बल्कि दो एमएच -60 रोमियो (MH-60 Romeo) पनडुब्बी रोधी युद्धक हेलीकॉप्टर भी अमेरिका से पहुंचे।
2025 तक भारत को 24 एमएच 60 रोमियो हेलीकॉप्टर दिए जाने हैं। वे विमान वाहक पोत विक्रांत के अलावा विक्रमादित्य समेत अन्य वेसेल्स से भी उड़ान भर सकेंगे।
गुरुवार को दो हेलीकॉप्टर अमेरिकी वायु सेना के सी-17 कार्गो जहाज में सवार होकर कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरे।
तीसरे रोमियो हेलीकॉप्टर की डिलीवरी अगले महीने की जाएगी। ये तीनों पिछले साल भारतीय नौसेना को दिए गए तीनों हेलीकॉप्टरों से अलग हैं, जिनका इस्तेमाल नौसेना में प्रशिक्षण के लिए किया जा रहा है।
इस बीच, विक्रांत की डिलीवरी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसके बाद देश अब अमेरिका और चीन सहित कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास विमान वाहक पोत बनाने की क्षमता है।
76 फीसदी स्वदेशी उपकरणों के साथ निर्मित, विक्रांत को अगले महीने आईएनएस विक्रांत के रूप में कमीशन किया जाएगा, जब देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाएगा।
Indian Navy: आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant)
यह विमानवाहक पोत 262 मीटर लंबा है और इसका फुल डिस्प्लेसमेंट 45,000 टन का है।
88 मेगावाट की कुल क्षमता वाले गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित, विमानवाहक पोत की टॉप स्पीड 28 नोट्स यानी समुद्री मील है।
विक्रांत की लागत लगभग 20,000 करोड़ रुपये है, जिसके रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड के सहयोग से तीन चरणों में बनाया गया है। पहला चरण 2007 तक, दूसरा दिसंबर 2014 में और आखिरी चरण अक्टूबर 2019 में पूरा हो गया था।भारतीय नौसेना के कहना है कि विक्रांत 30 विमानों से युक्त एक एयर विंग का संचालन करने में सक्षम होगा। इनमें MIG-29K फाइटर जेट्स, कामोव-31, और MH-60R, स्वदेशी रूप से निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) (नेवी) के अलावा शामिल हो सकते हैं।
Indian Navy: एमएच-60 रोमियो (MH-60 Romeo)
एमएच-60 को रोमियो के रूप में जाना जाता है, इस हेलीकॉप्टर का निर्माण अमेरिकी प्रमुख लॉकहीड मार्टिन द्वारा किया जाता है, और यह एक ऑल-वेदर हेलीकॉप्टर है, जिसे कई तरह के मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत ने 2020 में अमेरिकी सरकार से विदेशी सैन्य बिक्री (Foreign Military Sales) के तहत 24 MH-60 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया था।
हेलीकॉप्टरों को भारत की जरूरतों के मुताबिक कई उपकरणों और हथियारों से सुसज्जित किया गया है, जिसमें हेलफायर हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें और मार्क 54 पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो शामिल हैं।
ये हेलीकॉप्टर नौसेना की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने में समर्थ हैं। फिलहाल भारत को सबसे बड़ा खतरा चीन से है, जो देश की समुद्री सीमा के नजदीक अपनी गतिविधियों बढ़ा रहा है। भारत के पास मौजदा समय में P-8I विमान है, जिसका इस्तेमाल पनडुब्बी रोधी अभियानों में किया जा रहा है।
रोमियो हेलीकॉप्टर पुराने ब्रिटिश-निर्मित सी किंग हेलीकॉप्टरों के बेड़े की जगह लेंगे, जो अब ज्यादातर अपनी वास्तविक भूमिका यानी एंटी मरीन वारफेयर की बजाय परिवहन के लिए उपयोग किया जाता है।
रोमियो हेलिकॉप्टरों में सरफेस वारफेयर क्षमताएं भी हैं, जिसका अर्थ है कि वे सतह पर ही खतरों का पता लगाने और दुश्मन के जहाजों के खिलाफ भी कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।
पनडुब्बियों पर नज़र रखने और उन्हें शामिल करने के अलावा, ये हेलिकॉप्टर खोज और बचाव, रसद सहायता, कार्मिक परिवहन, चिकित्सा निकासी और निगरानी जैसी अन्य समुद्री भूमिकाएं निभाने में सक्षम हैं।