Indian Navy Aircraft Carrier: चीन को कैसे देंगे टक्कर, जब देश का इकलौता एयरक्राफ्ट कैरियर हो रहा बार-बार ‘साजिश’ का शिकार

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By DT News Desk

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Indian Navy Aircraft Carrier: जहां एक तरफ चीन हिंद-प्रशांत महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारतीय नौसेना इन दिनों एयरक्राफ्ट कैरियर की समस्या से जूझ रही है। समुद्र के बीच में गश्त के दौरान एयरक्राफ्ट कैरियर (Aircraft Carrier) की अहम भूमिका है, वो भी ऐसे समय में जब चीन लगातार इस इलाके में अपनी पहुंच बढ़ाने की पहल कर रहा है। चीन लगातार अपनी समुद्री सीमा का विस्तार कर रहा है। वहीं चीन के पास तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, और बाकी के निर्माण पर तेजी से काम जारी है। वहीं भारत के पास फिलहाल एक मात्र एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत है, जिसे पिछले हफ्ते ही नौसेना को सुपुर्द किया गया है। जबकि नेवी की जरूरत कम से कम तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की है। खास बात यह है कि भारतीय नौसेना पिछले नौ महीनों से बिना एयरक्राफ्ट कैरियर के थी, क्योंकि भारत का एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikramaditya इन दिनों मरम्मत के दौर से गुजर रहा है। पिछले एक साल यह नौसेना से बाहर है। बीती 20 जुलाई को भी कर्नाटक के कारवार बंदरगार में खड़े इस युद्धपोत में आग लग गई थी, तब इसकी बोर्ड ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश जारी किए गए थे।

Indian Navy Aircraft Carrier: 44,500 टन का है INS Vikramaditya

भारत का अकेला विमानवाहक पोत 44,500 टन आईएनएस विक्रमादित्य में आग लगने के कारण इसकी सेना में वापसी में देरी हुई है। रक्षा सूत्रों का कहना है, “आईएनएस विक्रमादित्य 2021 की शुरुआत से 18 महीने के लंबे रिफिट और रखरखाव की प्रक्रिया से गुजर रहा था और उम्मीद थी कि इनमें आग नहीं लगेगी। सूत्र का कहना है कि इसके संचालन के लिए तैनात होने में अब कुछ महीने और लगेंगे। 20 जुलाई को रिफिटिंग और रखरखाव जब चल रहा था तो समुद्री परीक्षणों के दौरान एक योजनाबद्ध उड़ान के समय एक बड़ी आग लगने की सूचना मिली थी। प्रत्येक युद्धपोत और पनडुब्बी को एक तय समय के बाद रखरखाव और मरम्मत की जरूरत होती है। यह समय एक हफ्ते से लेकर एक साल तक हो सकता है।

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रीफिटिंग का समय मरम्मत के आकार और किए जाने वाले आवश्यक कार्य पर निर्भर करता है और इस अवधि के दौरान युद्धपोत परिचालन से बाहर हो जाता है। आईएनएस विक्रमादित्य को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के बाद से पहले दो रिफिट किए जा चुके हैं। जो पिछले पांच महीनों में और 2018 में कोचीन शिपयार्ड में किया गया था। इसका मैंटेनेंस 2020 या 2021 में किया जाना था। वहीं जब इसकी मरमम्त की जानी थी, तब भी ये जहाज काम पर था, क्योंकि उस दौरान चीन के साथ गलवान घाटी में भिड़ंत हुई थी और देश को इसकी जरूरत थी।

Indian Navy Aircraft Carrier: INS Vikramaditya को अभी लगेगा वक्त

सूत्रों के मुताबिक दिसंबर 2020 में एयरक्राफ्ट कैरियर को मरम्मत के लिए भेजा गया ता, जिसमें अभी 2-3 महीने का और वक्त लग सकता है। वहीं इस बड़ी मरम्मत के बाद आईएनएस विक्रमादित्य का किसी भी ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जा सकेगा। सूत्र का कहना है कि एक सामान्य गाड़ी के मेंटेनेंस में ही 5-6 घंटे लग जाते हैं, तो आईएनएस विक्रमादित्य का वजन तो चालीस हजार टन से भी ज्यादा का है। वे इसकी मरम्मत के 19 महीने के समय को जायज ठहराते हैं। वह कहते हैं कि इस दौरान किसी भी वॉरशिप के मैकेनिकल, इलैक्ट्रिक सभी पार्ट्स का मूल्यांकन होता है और उसे फुल परफॉर्मेंस में लाने के लिए जो भी जरूरी होता है वह किया जाता है।

उन्‍होंने बताया, कोई भी वॉरशिप या सबमरीन का दो साल के ऑपरेशन के बाद मेंटेनेंस किया जाता है। जिसमें आकार के हिसाब से एक हफ्ते से दो महीने तक का वक्त लग सकता है। इस तरह तीन बार यह चक्र पूरा होने के बाद फिर नॉर्मल रीफिट (एनआर) के लिए भेजा जाता है। इसमें चार महीने से लेकर डेढ़ साल तक का वक्त लग सकता है। किसी भी वॉरशिप या सबमरीन का जब दो बार एनआर हो जाता है उसके बाद फिर उसे मेजर रीफिट के लिए भेजा जाता है। इसमें लंबा वक्त लगता है।

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Indian Navy Aircraft Carrier: भारतीय नौसेना को चाहिए तीन विमानवाहक पोत

भारतीय नौसेना लंबे समय से तीसरे विमानवाहक पोत की मांग कर रही है। तर्क दिया गया है कि देश में किसी भी समय कम से कम दो सक्रिय वाहक होने चाहिए। ऐसे मामले में तीन विमानवाहक पोतों की उपलब्धता पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तट पर एक-एक को तैनात करने का विकल्प देगी और तीसरे को रखरखाव और मरम्मत चक्र में रखा जा सकता है जो वर्षों तक चल सकता है।

हिंद महासागर में चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए अधिकारियों ने कहा था कि देश को एक तरफ मलक्का जलडमरूमध्य और दूसरी तरफ अदन की खाड़ी जैसे दूर-दराज के इलाकों में हवाई शक्ति का विस्तार करना होगा। यदि आपके पास दो विमान वाहन युद्धपोत हैं, तो आप दो क्षेत्रों में सक्रिय हो सकते हैं। यदि आवश्यक हो, तो आप इसे स्थानांतरित कर सकते हैं, युद्ध के दौरान आप गेम चेंजर बन सकते हैं। वहीं चीन 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ सबसे बड़ी नौसेना बन गया है, जबकि भारत के पास 130 का बेड़ा है।

Indian Navy Aircraft Carrier: INS Vikramaditya के बारे में खास बातें…

भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य दुनिया के 10 सबसे बड़े एयरक्राफ्ट करियर्स में शामिल है। यह 283.5 मीटर लंबा है, इसकी बीम 61 मीटर की है। यह एक कीव-क्लास का मॉडिफाइड एयरक्राफ्ट करियर है। जो भारतीय नौसेना में साल 2013 में शामिल किया गया था।

इससे पहले यह सोवियत नौसेना और फिर रूसी नौसेना के लिए सेवाएं दे चुका है। इसका डिस्प्लेसमेंट 45,400 टन है। इस पोत पर 36 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं, जिसमें 26 मिकोयान MiG-29K मल्टी रोल फाइटर्स और Kamov Ka-31 AEW&C और Kamov Ka-28 ASW हेलिकॉप्टर्स शामिल हैं।

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