V Boopathi Bajaj Dominar 400cc: अगर आदमी जुनून पाल ले तो क्या नहीं कर सकता। आज पूरा देश तमिलनाडू के वी बूपथी (V Boopathi) की तारीफ करते हुए नहीं थक रहा है। युवावस्था में लगभग हर युवा का सपना होता है कि उसके पास अपनी बाइक हो। बहुत कम ही युवा होते हैं जो अपनी मेहनत की कमाई से अपने लिए बाइक खरीद पाते हैं। लेकिन वी बूपथी ने कुछ ऐसा किया कि बाइक शोरूम वाले भी घबरा उठे। हालांकि ग्राहक को देखकर शोरूम वाले आमतौर पर खुश होते हैं, लेकिन वी बूपथी के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं था।
V Boopathi Bajaj Dominar 400cc: घबरा गया शोरूम स्टाफ
दरअसल तमिलनाडु के सलेम शहर का यह मामला अम्मापेट स्थित गांधी मैदान इलाके के निवासी युवक वी भूपति को अपनी ड्रीम बाइक का सपना पूरा करना था। उनकी पसंदीदा बाइक थी Bajaj Dominar 400cc। जिसे खरीदने के लिए उन्होंने लंबे समय तक एक-एक रुपये के सिक्के जोड़े और एक दिन बोरे में सिक्के भर कर Bajaj Dominar 400cc खऱीदने कंपनी के शोरूम पहुंच गए। जब वे अपनी पसंदीदा बाइक खरीदने पहुंच तो शोरूम के कर्मचारियों के पसीने छूट गए। दरअसल वे 2.6 लाख रुपयों से भरी सिक्कों की बोरी को गिनने के नाम से ही घबरा गए।
बीसीए ग्रेजुएट वी बूपथी प्राइवेट कंपनी में एक कंप्यूटर ऑपरेटर हैं। चार साल पहले उन्होंने एक यूट्यूब वीडियो चैनल शुरू किया था। लेकिन उनके पास बाइक खरीदने के पैसे नहीं थे। क्योंकि बाइक की कीमत दो लाख रुपये थे। तो उन्होंने यूट्यूब चैनल से मिले पैसों से एक-एक रुपये के सिक्के जोड़ने शुरू किए। वे कहते हैं कि उन्होंने नोटों के बदले मंदिरों, होटलों और चाय की दुकानों से तीन सालों तक सिक्के एकत्र किए।
V Boopathi Bajaj Dominar 400cc: वैन में सिक्के लेकर पहुंचे
इस तरह जब उनके पास एक-एक रुपये के सिक्कों का अंबार लग गया, तो उन्होंने सारे सिक्के गिने और पसंदीदा बाइक की ऑन-रोड प्राइस यानी 2.6 लाख रुपये के बराबर रकम जमा कर ली। तब उन्होंने बजाज के शोरूम को संपर्क किया। इसके बाद वह अपने दोस्तों के साथ पिछले सप्ताह शनिवार को मिनी वैन में सिक्के के बोरे लादकर बजाज शोरूम पहुंचे। हालांकि भारत एजेंसी शोरूम के मैनेजर महाविक्रांत ने शुरुआत में सिक्कों में रकम लेने से मना कर दिया था, लेकिन बाद में वे मान गए और इस तरह वी बूपथी अपने सपने को साकार कर पाए। शोरूम के मैनेजर महाविक्रांत ने कहा कि बैंक एक लाख रुपये के 2,000 रुपये के नोटों की गिनती करने के 140 रुपये लेते हैं, लेकिन बूपथी के सपने को पूरा करने के लिए वे मान गए। उन्होंने बताया कि बूपथी के दिए सिक्कों को गिनने में उनके स्टाफ को पूरे 10 घंटे लगे।