Indian Army Olive Green Maruti Gypsy: कई दशकों से भारतीय सेना का हिस्सा रहीं ओलिव ग्रीन Maruti Gypsy जल्द ही इतिहास बनने वाली हैं। भारतीय सेना अब तक भरोसे के मापदंडों पर खरा उतरने वाली जिप्सी का विकल्प तलाशने में लगी है। हालांकि इसे बनाने वाली देश की नंबर एक कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी काफी पहले ही आम लोगों के जिप्सी का निर्माण बंद कर चुकी थी, लेकिन सेना के लिए इसे बनाना जारी रखा हुआ था। यहां तक कि जून 2020 में जब पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जब गतिरोध अपने चरण पर था, तब भी मारुति ने लगभग 700 जिप्सी भारतीय सेना को सप्लाई की थीं।
रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मारुति जिप्सी की रिप्लेसमेंट के लिए आने वाले महीनों में नए सॉफ्ट-टॉप 4X4 व्हीकल्स के लिए रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल जारी किया जा सकता है। भारतीय सेना में इस वक्त तकरीबन 35 हजार जिप्सियां हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीकों से हटाया जाना है।
Indian Army Olive Green Maruti Gypsy: न्यूनतम कर्ब वेट 500 से 800 किग्रा के बीच
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने पिछले हफ्ते ही नए 4X4 लाइट व्हीकल्स की खरीदारी के सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में सेना को ऐसे 4964 वाहन खरीदने की मंजरी मिली है, बाकी की खरीद जरूरत के हिसाब से चरणबद्ध तरीकों में की जाएगी। वहीं डीएसी ने यह भी शर्त जोड़ी है कि वाहन का न्यूनतम कर्ब वेट 500 से 800 किग्रा के बीच होना चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना ऐसे सॉफ्ट-टॉप 4X4 व्हीकल्स की तलाश कर रही है, जिनका इस्तेमाल समतल मैदान, रेगिस्तान और पहाड़ी इलाकों में भी किया जा सके। वहीं सॉफ्ट-टॉप को प्रमुखता देने के पीछे मुख्य वजह यह है कि इस पर जवान अपनी राइफल के अलावा माउंटेड गन भी रख सकते हैं। साथ ही क्यूआरटी यानी क्विक रिएक्शन टीमों को मूवमेंट करने में भी आसानी होती है।
मारुति जिप्सी का वजन लगभग 985 किग्रा है और इसका रखरखाव भी ज्यादा मुश्किल नहीं है। मारुति सुजुकी ने 2018 में सेफ्टी और उत्सर्जन मानकों के पूरा न होने के चलते जिप्सी को बनाना बंद कर दिया था, लेकिन सेना के विशेष आग्रह पर कुछ जिप्सी सप्लाई जा रही थीं। सूत्रों के मुताबिक अब वक्त बदलाव का है और सेना को ज्यादा आधुनिक और मजबूत वाहनों की जरूरत है।
Indian Army Olive Green Maruti Gypsy: खरीद चुकी है 3192 Tata Safari
सूत्रों के मुताबिक सेना ने 2017 में हार्ड-टॉप सफारी स्टॉर्म (Tata Safari Strome) का ऑर्डर दिया था, उस समय यह माना जा रहा था कि सफारी जल्द ही जिप्सी का विकल्प बनेंगी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सफारी बिल्कुल अलग ही कैटेगरी का वाहन है। सफारी न केवल ज्यादा बड़ी है, बल्कि उसका वजन भी तकरीबन 1800 किग्रा है। जिसके चलते कुछ खास इलाकों में यह जिप्सी का विकल्प नहीं बन सकती है। ज्यादातर सफारी को सेना में वरिष्ठ अफसर इस्तेमाल करते हैं।
2017 में फाइनल ऑर्डर देने से पहले टाटा सफारी और महिंद्रा स्कॉर्पियो का लगभग 15 महीनों तक ट्रॉयल किया गया था। जिसमें टाटा ने सबसे कम बोली लगाई थी और उसे 3192 सफारी की सप्लाई का ठेका मिल गया था।
Indian Army Olive Green Maruti Gypsy: M4 लाइट स्ट्राइक व्हीकल की जरूरत
वहीं भारतीय सेना ने अपनी विशेष यूनिट्स पैराशूट और पैरा एसएफ यूनिट्स के लिए 2018 में Force Motors से लाइट स्ट्राइक व्हीकल भी खरीदे थे। साल 2002 में सेना के स्पेशल फोर्सेज के आधुनिकीकरण के लिए सेना के एक अध्ययन में लाइट स्ट्राइक व्हीकल जैसे विशेष वाहनों की जरूरत बताई गई थी। पिछले साल ही सेना ने पुणे स्थित कल्याणी ग्रुप की कंपनी भारत फोर्ज से 27 M4 ऑर्मर्ड व्हीकल खरीदे थे। भारत फोर्ज कंपनी साउथ अफ्रिका की कंपनी पैरामाउंट ग्रुप के साथ मिल कर ये व्हीकल बना रही है।
वहीं बाद में, सेना ने महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के साथ 1,056 करोड़ रुपये की लागत के 1,300 लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए था। इन बख्तरबंद (ऑर्मर्ड) लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स में मीडियम मशीन गन, ऑटोमैटिक ग्रेनेड लांचर के साथ-साथ एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स लगाने की भी सुविधा होगी।