ऑटो सेक्टर (Auto Sector) के लिए इस बार का त्योहारी सीजन पसीने छुड़ाने वाला है। कोरोना के पश्चात आर्थिक हालात थोड़ा-थोड़ा ठीक होना शुरू हुए हैं। लेकिन असल परीक्षा ऑटोकंपनियों की अभी बाकी है। गाड़ियों की खरीदारी कोरोना पूर्व स्तर पर पहुंचने लगी है, अगस्त में भी अच्छी खासी संख्या में कारों की बिक्री हुई है। लेकिन अब कार कंपनियों को डर सता रहा है कि त्योहारी सीजन में अगर कारों की खरीदारी के लिए लोगों का रुझान बढ़ा, तो कार कंपनियों के लिए वक्त पर डिलीवरी मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि भारत में कार खरीदारी एक सपना होता है, और लोग शुभ दिनों पर ही डिलीवरी लेना पसंद करते हैं। ऑटो कंपनियों के लिए दिक्कत इसलिए भी है कि अगर वे प्रोडक्शन बढ़ाते हैं, तो भी चिप शॉर्टेज की समस्या से पार नहीं पा सकते हैं। क्योंकि चिप या सेमीकंड़क्टर (semiconductor) का डिलीवरी टाइम 6 दिन से बढ़ कर 21 दिनों तक पहुंच गया है। अगर ये स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो वाहन निर्माताओं को इस साल में चौथी से पांचवी बार गाड़ियों के दाम बढ़ाने (Price Hike) के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
गैजेट्स भी हो सकते हैं महंगे
वहीं ये समस्या केवल वाहन निर्माताओं के साथ नहीं है बल्कि दोपहिया वाहन, स्मार्टफोन, लैपटॉप्स, टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर समेत एयर कंडीशनर की बिक्री पर भी चिप शॉर्टेज (Chip Shortage) का असर पड़ना तय है। बढ़ते माल-भाड़े और इनपुट लागत में बढ़ोतरी के चलते त्योहारी सीजन से पहले कंपनियां फिर से अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा सकती हैं। कंपनियों को अंदाजा है कि त्योहरी सीजन ही उनकी बिक्री का पीक टाइम होता है। वहीं निर्माताओं के लिए भी ये समस्या अप्रत्याशित है, जिसकी हाल-फिलहाल उन्हें कोई हल सूझ नहीं रहा है। बाजार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आने वाले कुछ हफ्तों में त्योहारी सीजन से पहले कंज्यूमर इलेक्टॉनिक्स आइटम्स में आठ फीसदी और पैसेंजर व्हीकल्स की कीमतों में एक से दो फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं दोपहिया और कारों की कीमतों में पिछले 12 से 18 महीनों में 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुकी हैं।
स्टील, एलुमीनियम सब महंगा
ऑटो कंपनियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पांच लाख से 25 लाख रुपये के बीच में आने वाली कार की कीमतों में 50 हजार से 2.5 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। वहीं दोपहिया वाहनों की बात करें, तो इस दौरान बाइक या स्कूटरों की कीमतों में 5,000 से 10 हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। स्टील की कीमतें दोगुनी हो चुकी हैं, वहीं एलुमीनियम और तांबे के दाम 20 से 25 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। जबकि सबसे ज्यादा हालत सेमीकंडक्टर या चिप की कमी ने कर रखी है। चिप की कीमतें 25 से 75 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं। जबकि ईंधन की लागत बढ़ने से माल-भाड़े की दरें दो से तीन गुना तक बढ़ चुकी हैं। वहीं आयात भी महंगा हो गया है।
कार खरीदारों पर कम असर
इसका सबसे ज्यादा असर दोपहिया वाहनों (Twowheelers) की बिक्री पर पड़ा है, जबकि कार खरीदारों पर इस बढ़ोतरी का कोई खास असर नहीं पड़ा है, क्योंकि कार कंपनियों को अभी भी अच्छी-खासी संख्या में बुकिंग्स मिल रही हैं। टॉप 10 बेस्ट सेलिंग मॉडल्स (best selling cars) की बात करें, तो पिछले नौ महीनों में कम से कम पांच बार गाड़ियों के दाम बढ़ चुके हैं। यहां तक कि एक कार पर मिलने वाला मार्जिन भी 13 हजार से घट कर 8 हजार रुपये तक हो चुका है। वहीं वेटिंग पीरियड (Car waiting period) इस फेस्टिवल सीजन में ज्यादा रहने वाला है, ऐसे में ओरिजनल इक्विमेंट मैनुफैक्चरर्स (ओईएम) के पास कीमतें बढ़ाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा। सूत्रों का कहना है कि चीन, ताईवान और वियतनाम में कोविड के मामले बढ़ने की वजह से फैक्ट्रिया बंद हो गई हैं और सप्लाई बाधित हो गई है। जिसके चलते माल-भाड़े की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसका नुकसान ये हो रहा है कि पहले दाम जहां साल में एक बार बढ़ते थे, अब पिछले 10 महीनों में चार बार बढ़ चुके हैं।
दोपहिया वाहनों की बात की जाए तो पिछले 12 महीनों में हीरो मोटोकॉर्प की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक स्प्लेंडर (Hero splendor) की कीमतें पांच फीसदी, रॉयल एनफील्ड क्लासिक (Royal enfield classic) की कीमतें 11 फीसदी और टीवीएस जुपिटर (TVS Jupiter) की कीमतें चार फीसदी तक और प्रीमियम मोटरसाइकिल अपाचे की कीमत 8.47 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं।